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Showing posts from September, 2017
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प्रथम भाव को लग्न, आत्मा, शरीर, होरा, उदय, आदि, के नाम से भी जाना जाता है| इस भाव से व्यक्ति के शरीर, रूप, रंग, आकृति, स्वभाव, ज्ञान, बल, सुख, यश, गौरव, आयु तथा मानसिक स्तर का विचार किया जाता है| लग्न को भावों में विशिष्ट श्रेणी प्रदान की गई है| लग्न एक केंद्र भी है, तो त्रिकोण भी| लग्न भाव का स्वामी(लग्नेश), चाहे वह नैसर्गिक पापी ग्रह हो या शुभ ग्रह, हमेशा शुभ ही माना जाता है| अतः लग्न व लग्नेश को फलित ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है| इस भाव का कारक ग्रह सूर्य है, क्योंकि सूर्य ही जातक का जनक व उसकी आत्मा का अधिष्ठाता है| प्रथम भाव से निम्नलिखित विषयों का विचार किया जाता है- शरीर- शरीर का मोटा या दुबला होना जलीय एवं शुष्क ग्रहों और राशियों पर निर्भर करता है| अर्थात जब जलीय ग्रहों का संबंध अन्य ग्रहों की अपेक्षा प्रथम भाव पर अधिक पड़ता है तब जातक का शरीर मोटा होता है| परंतु अगर शुष्क ग्रहों और राशियों का संबंध लग्न पर अधिक पड़ता है तब जातक का शरीर दुबला होता है| कद- लग्न पर जब शनि, राहु, बुध, गुरु आदि दीर्घ ग्रह एवं राशियों का प्रभाव पड़ता है तब जातक का शरीर लंबा होता है| पर
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Happy Navratra to all viewer.......
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Thoughts of Astrodilip......
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